Krishna Janmashtami: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का एक पवित्र पर्व है, जो हर साल बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस पावन दिन भक्त व्रत, और पूजा और भजन का आयोजन करते है। लेकिन कई ऐसे शास्त्रीय नियम है, जिन्हे जन्माष्टमी के दिन अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए। आइए जानते है उन गलतियों के बारे में जो इस पवित्र दिन पर नहीं करनी चाहिए।

Krishna Janmashtami 2024

निषिद्ध भोजन का सेवन

Krishna Janmashtami के दिन व्रत का महत्व है। इस दिन भक्तो को निषिद्ध भोजन जैसे प्याज, लहसुन, तामसिक भोजन और अन्य ऐसे पदार्थ नहीं खाने चाहिए जो शुद्ध और सात्विक न हो। शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी के व्रत के समय दाल, अनाज और मसाले का सेवन नहीं करना चाहिए। फलाहार और सात्विक भोजन का सेवन ही उचित माना जाता है। इस दिन भक्तो को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। सात्विक भोजन भगवन को प्रसन्न करता है, जबकि तामसिक भोजन मानसिक असंतुलन और व्यावहारिक गलतियों का कारण बन सकता है।

Krishna Janmashtami 2024

व्रत को तोड़ना नहीं चाहिए

व्रत का पालन जन्माष्टमी का एक महत्वपूर्ण भाग होता है। इसलिए व्रत के नियम का पालन करते हुए भूल से भी व्रत न तोड़े। भक्तो को रात्री के समय भगवान कृष्ण के जन्म के बाद व्रत तोड़ना चाहिए। व्रत तोड़ने के समय भी सात्विक और फलाहार भोजन का ही विचार करना चाहिए।

यदि किसी वजह से व्रत नहीं रखा गया हो, तो इस बात का ध्यान रखे कि मन और विचार में पवित्रता और विनम्रता बनी रहे। व्रत का तोड़ना शास्त्रों के विरुद्ध माना गया है, इसलिए व्रत के संकल्प को श्रद्धा के साथ निभाएं।

अशुद्धता से बचना

जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के दिन शारीरिक और मानसिक शुद्धता का महत्व होता है। इस दिन कोई भी शुद्धता वस्त्र पहनना, शुद्धता का ध्यान न रखना, या किसी भी प्रकार की अशुद्ध चीज़ो का स्पर्श करना अपमानजनक होता है। शरीर और वस्त्र की शुद्धता को ध्यान में रखे और पूजा के लिए पवित्र वस्त्र धारण करे।

इस पवित्र त्यौहार पर पूजा स्थल और मंदिर की शुद्धता पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। भक्तो को मंदिर या पूजा स्थल के समीप जाने से पहले पैर धोना चाहिए और पवित्र चैतन्य के साथ पूजा को स्थापित करना चाहिए।

ध्यान और भक्ति में अवरोध

भगवन कृष्ण के जन्मोत्सव के दिन भक्ति और ध्यान का विशेष महत्व है। इस दिन कोई भी व्यक्ति को पूजा या भक्ति में अवरोध नहीं डालना चाहिए। जब तक पूजा चल रही हो, व्यक्ति को व्यर्थ बाते, व्यावहारिक झगड़े, या अनावश्यक काम नहीं करने चाहिए जो ध्यान भंग कर सकते है।

इस दिन अपने मन और विचार को विशुद्ध रखे और भगवान कृष्ण की महिमा का स्मरण करते हुए अपने दिन को सफल बनाएं। बिना किसी द्वंद्व या गलती के पूजा में अंतर्गत से जुड़ना ही इस दिन का सही पालन होता है।

धर्म के विरुद्ध कार्य

जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के पावन दिन किसी भी प्रकार के धर्म के विरुद्ध काम जैसे चोरी, झूठ, निंदा, या किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। इस दिन भगवान कृष्ण का स्मरण करके, व्यक्ति को अपने कर्म और विचार को पवित्र बनाए रखना चाहिए। यदि इस दिन भक्तो का व्यवहार अन्य व्यक्तियो के प्रति अप्रिय हो, तो भगवान के व्रत का फल नहीं मिलता।

जीवन के हर अंग में सत्य और धर्म का पालन करना ही भवान कृष्ण की सच्ची भक्ति का प्रमाण है। ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जो धर्म के सिद्धांतो के विरुद्ध हो।

आलस्य और उदासीनता

जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के दिन आलस्य और उदासीनता का त्याग आवश्यक है। इस दिन भक्तो को उत्साह के साथ भगवान की पूजा और सेवा में जुड़ने की कोशिश करनी चाहिए। आलस्य और उदासीनता भक्ति के मार्ग को कमज़ोर बनाते है और भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने में बाधा डालते है।

आलस्य के त्याग से भक्त अपने मन और शरीर को मजबूत बना सकते है और उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जन्माष्टमी का त्यौहार उत्साह और आनंद से भरा होता है। जिसे पूरी श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए।

रात्रि जागरण में ध्यान न देना

भगवान कृष्ण का जन्म रात के समय माना जाता है, इसलिए जन्माष्टमी के दिन भक्तो को रात तक जागरण करना उचित होता है। कई बार भक्त रात्री के समय आलस करते है और भगवान कृष्ण के जन्म के समय सो जाते है, जो शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं है। भगवान कृष्ण का जन्म स्मरण करना और उनका आवाहन करना इस दिन का मुख्य उद्देश्य होता है।

रात्री जागरण के समय भजन, कीर्तन, और भगवान कृष्ण की लीलाओं का मनन करते हुए, उनके चरणों में अपने मन को अर्पण करना चाहिए। रात्री जागरण भक्ति के महत्व को और भी गहरा बनाता है।

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