Yogesh Kathuniya, जो पहले व्हीलचेयर पर निर्भर थे, अब पेरिस 2024 पैरालिंपिक्स में स्वर्ण पदक जीतने के अपने सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उनकी यह यात्रा किसी चमत्कार से कम नहीं है, और उन्होंने न केवल अपने जीवन को बदल दिया है बल्कि अन्य पैरा-एथेलीट्स के भी एक प्रेरणा का स्रोत बने है।

Yogesh Kathuniya: Paris Paralympics 2024

कठिनाईयों से उभरते हुए

Yogesh Kathuniya का जीवन बचपन में ही बदल गया था जब उन्हें नौ साल की उम्र में गुइलियन-बार्रे सिंड्रोम (एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार) का सामना करना पड़ा। इस बीमारी ने उन्हें व्हीलचेयर तक सीमित कर दिया, और उनका सामान्य जीवन पूरी तरह से ठहर गया। उस समय उन्होंने अपनी बहन से बार-बार पूछा कि वे दोबारा खेल पाएंगे, लेकिन जवाब हमेशा ‘कल’ उनके जीवन में उस वक्त आया जब उनकी माँ ने उनकी फिजियोथेरेपी की जिम्मेदारी उठाई और अपने अथक प्रयासों से उन्हें दोबारा चलने में सक्षम बना दिया।

Yogesh Kathuniya: Paris Paralympics 2024

शिक्षा से खेल तक का सफर

दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोरी मल कॉलेज में दाखिला लेने के बाद, योगेश कथूनिया ने पैरास्पोर्ट्स की दुनिया में कदम रखा। वहा के खेल परिसर में अन्य एथलीट्स को देख के खेल में रूचि लेने लगे और धीरे-धीरे उन्होंने डिस्कस थ्रो, शॉट पुट और जैवलिन थ्रो में भाग लेना शुरू किया। 2018 में बर्लिन ग्रां प्री में उन्होंने तीन स्वर्ण पदक जीते और पुरुषो की F36 डिस्कस थ्रो में विश्व रिकॉर्ड बनाया।

Tokyo से Paris तक

Yogesh Kathuniya का सबसे बड़ा क्षण टोक्यो 2024 पैरालिंपिक्स में आया, जब उन्होंने F36 डिस्कस थ्रो स्पर्धा में रजत पदक जीता। उनकी यह सफलता उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले आई और भारत में उनके नाम को नई उचाईयां मिली। अब, पेरिस 2024 में उनका एक ही लक्ष्य है- स्वर्ण पदक 50 मीटर से अधिक की दूरी फेकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे है और इस बार स्वर्ण पदक जीतने के प्रति पूरी तरह से समर्पित है।

Yogesh Kathuniya: Paris Paralympics 2024

भविष्य की उम्मीदें

\टोक्यो पैरालिंपिक्स के बाद, योगेश कथूनिया (Yogesh Kathuniya) ने खोलो को अपना जीवन समर्पित करने का फैसला किया। उन्होंने एक एथेलेटिक्स Academy की शुरुआत की, जहां वे अन्य पैरा-एथलीट्स को प्रशिक्षित करते है, और उन्हें अर्थिक सहायता प्रदान करते है। उनका उद्देश्य है कि जिस प्रकार की कठिनाइयों का उन्होंने सामना किया, वैसी कठिनाइयाँ अन्य एथेलीट्स को न झेलनी पड़ेYogesh Kathuniya का सपना है कि भारत के पैरा-खेलो में और भी अधिक विकास हो और देश के एथेलीट्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम और ऊँचा करे।

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