One Nation One Election: भारत ने वन नेशन, वन इलेक्शन यानी एक साथ सभी चुनावों की परिकल्पना ने पिछले कुछ समय से राजनीति में जोर पकड़ रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार इस योजना को लागू करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहे है। 2024 में सरकार ने इस मुद्दे को फिर से उठाया, और यह स्पष्ट किया कि NDA सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में इस पहल को हकीकत में बदलने का प्रयास करेगी।

One Nation One Election

One Nation One Election क्या है?

One Nation One Election का उद्देश्य लोकसभा, राज्य विधान सभाओं और स्थानीय निकाय चुनावों को एक साथ कराना है। वर्तमान में भारत में ये चुनाव अलग-अलग समय पर होते है, जिससे न केवल प्रशासनिक खर्च बढ़ता है, बल्कि बार-बार चुनावी प्रक्रिया के चलते विकास कार्य भी प्रभावित होते है। इस प्रस्ताव के तहत, देश के हर पांच साल में एक ही बार चुनाव होंगे, जिससे चुनावी प्रक्रियाओं में तेज़ी और पारदर्शिता आएगी।

हाल ही के घटनाक्रम

15 सितंबर 2024 को यह स्पष्ट हुआ कि मोदी सरकार इस योजना को अपने मौजूदा कार्यकाल में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। हाल ही में बनी Ram Nath kovind की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने अपनी सिफारिशों सरकार को सौपी है। समिति ने पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओ के चुनावो को एक साथ करने की सिफारिश की है, और उसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव दिया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वतंत्रता दिवस 2024 पर अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि बार-बार होने वाले चुनाव देश की प्रगति में बढ़ा डालते है। उन्होंने सभी राजनीतिक डालो से इस मुद्दे पर सहमति बनाने की अपील की और कहा कि यह देश के विकास के लगे महत्वपूर्ण है। भाजपा के 2024 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया था।

One Nation One Election के फायदे

One Nation One Election के कई प्रमुख फायदे गिनाए जा रहे है:

चुनावी खर्च में कमी: बार-बार होने वाले चुनावो से सरकारी खजाने पर भरी बोझ पड़ता है। यदि सभी चुनाव एक साथ होते है, तो चुनावी खर्च में काफी कमी आ सकती है।

सुशासन में सुधार: बार-बार चुनाव होने से सरकारे अपने कार्यकाल के अधिकांश समय चुनाव तैयारियों में व्यस्त रहती है। एक साथ चुनाव कराने से सरकार को लंबे समय तक बिना किसी चुनावी बाधा से शासन करने का मौका मिलेगा।

राजनीतिक स्थिरता: चुनावी ध्रुवीकरण से राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती है। एक साथ चुनाव होने से राजनीतिक माहौल शांतिपूर्ण और स्थिर रहेगा, जिससे नीति-निर्माण में भी सुधार होगा।

सुरक्षा संसाधनों का बेहतर उपयोग: चुनावो के दौरान बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती होती है। एक साथ चुनाव होने पर इन संसाधनों का सही और सीमित उपयोग संभव होगा।

One Nation One Election

चुनौतियां और विपक्ष का रुख

हालांकि, One Nation One Election के कई फायदे है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ भी है। सबसे बड़ी चिंता यह है की यह योजना संघीय ढांचे को कमज़ोर कर सकती है। भारत में राज्यों के मुद्दे और प्राथमिकताएँ अक्सर केंद्र से अलग होती है, और एक साथ चुनाव होने पर राज्यों के मुद्दे राष्ट्रीय चुनावो के बीच दब सकते है। क्षेत्रीय दलों को यह डर है कि राष्ट्रीय मुद्दों के चलते राज्य चुनावो में उन्हें हानि हो सकती है।

इसके आलावा, चुनावो को एक साथ कराने के लिए कई संविधान संशोधन करने होंगे, जिससे राज्य और केंद्र सरकारों के कार्यकाल को सिंक्रोनाइज़ किया जा सके। इसके लिए कम से कम 18 संविधान संशोधन की जरुरत होगी, जो राजनीतिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण हो सकते है।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

हालांकि भाजपा ने इस योजना का समर्थन किया है, लेकिन विपक्षी दलों में इसे लेकर गहरे मतभेद है। कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दल इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे है। उनका तर्क यह है की यह संविधान की संघीय संरचना के विपरीत है, और राज्यों को उनकी स्वायत्तता से वंचित कर सकता है। इसके आलावा, यह भी चिंता जताई जा रही है कि यह एक दल को लाभ पंहुचा सकता है, खासकर तब जब राष्ट्रीय और राज्य चुनाव एक साथ होंगे।

आगे का रास्ता

इस योजना के लिए एक क्रियान्वयन समूह का गठन किया गया है, जो कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं का अध्ययन करेगा और इसे लागू करने के तरीके सुझाएगा। लॉ कमीशन भी इस पर विचार कर रहा है और 2029 तक इसे पूरी तरह से लागू करने की दिशा में सिफारिशे कर सकता है।

हालांकि यह एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन यदि इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो इससे देश में चुनावी प्रणाली में बड़ा बदलाव आ सकता है। सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक सुधार होगा, लेकिन विपक्षी दलों और क्षेत्रीय नेताओ को इसके प्रभावों के बारे में गंभीरता से विचार करने की जरुरत है।

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